
आज मैं जो आर्टिकल लिख रहा हूं इसमें आयुर्वेद की कुछ महत्वपूर्ण जड़ी बूटियाँ शामिल हैं। आयुर्वेद में स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों के लिए तरह-तरह की जड़ी-बूटियां हैं। और इनके अनेकों औषधीय महत्त्व हैं। और कुछ जड़ी-बूटियां जो किडनी और लिवर को स्वस्थ रखती हैं प्रायः हमारे रसोई में आसानी से मिल भी जाती हैं। हम आपको यहां कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों के बारे में बता रहे हैं, जो किडनी और लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार हैं।
पलाश के फायदे | पलाश जो किडनी व लिवर को स्वस्थ रखतीं हैं
पलाश (खाखरा,छूल,परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक पेड़ है जिसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं। इन फूलों का सूख जाने पर जड़ी-बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है। इन चमकीले लाल-नारंगी फूलों में एक शांत शक्ति होती है, जो कि मूत्र प्रवाह को नियंत्रित करती है। इतना ही नहीं, पेशाब जलन के दौरान होने वाली जलन को भी कम करता है।

पलाश का फूल उत्तर प्रदेश का राज्य पुष्प है और इसको ‘भारतीय डाकतार विभाग’ द्वारा डाक टिकट पर प्रकाशित कर सम्मानित किया जा चुका है। प्राचीन काल से ही होली के रंग इसके फूलो से तैयार किये जाते रहे है। भारत भर मे इसे जाना जाता है। एक “लता पलाश” भी होता है। लता पलाश दो प्रकार का होता है। एक तो लाल पुष्पो वाला और दूसरा सफेद पुष्पो वाला। लाल फूलो वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम ” ब्यूटिया मोनोस्पर्मा ” है। सफेद पुष्पो वाले लता पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना जाता है। वैज्ञानिक दस्तावेजो मे दोनो ही प्रकार के लता पलाश का वर्णन मिलता है। सफेद फूलो वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम ” ब्यूटिया पार्वीफ्लोरा ” है जबकि लाल फूलो वाले को ” ब्यूटिया सुपरबा ” कहा जाता है। एक पीले पुष्पों वाला पलाश भी होता है।
गिलोय या गुडूची (Guduchi) के फायदे

गिलोय को गुडूची (Guduchi), अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। औषधीय गुणों के आधार पर नीम के वृक्ष पर चढ़ी हुई गिलोय को सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि गिलोय की बेल जिस वृक्ष पर भी चढ़ती है वह उस वृक्ष के सारे गुण अपने अन्दर समाहित कर लेती है तो नीम के वृक्ष से उतारी गई गिलोय की बेल में नीम के गुण भी शामिल हो जाते हैं अतः नीम गिलोय (Neem giloy) सर्वोत्तम है। गिलोय के कसैले गुण आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में इस जड़ी बूटी को गुर्दे और उसके कार्यों के लिए अद्भुत कहा गया है। इसे डॉक्टर से सलाह लेने के बाद सेवन की सलाह दी जाती है क्योंकि यह हर किसी के अनुकूल नहीं है और आपके शरीर में कुछ छोटे प्रतिकूल परिवर्तन ला सकती है।
हॉर्सटेल

हॉर्सटेल वैज्ञानिक नाम इक्विटेसी (Equisetaceae) है। जिसे सांप घास भी कहा जाता है। यह एक अल्कलॉइड है, जो किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ गुर्दे की प्रणाली में सुधार करता है। इतना ही नहीं, गुर्दे से सभी हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। हॉर्सटेल शरीर से विषैले और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। इसके सेवन से यूरिक एसिड कम या खत्म किया जा सकता है क्योंकि इसमें मूत्रवर्द्धक गुण होते हैं, जिससे ठीक तरह से पेशाब आती है। इसके साथ ही यह किडनी, किडनी स्टोन और लिवर को भी स्वस्थ रखता है।
पुनर्नवा
पुनर्नवा भी एक आयुर्वेदिक बूटी है, जिसमें कि प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं, यही वजह है कि आयुर्वेद में इसे मूत्रत्याग जैसे मूत्र संबंधी मुद्दों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके एंटी इंफ्लामेटरी गुणों के कारण यह किडनी को स्वस्थ और अच्छी तरह से काम करने में मदद करता है।
हल्दी
औषधीय गुणों का भंडार हल्दी एक शक्तिशाली जड़ी बूटी है, जो प्रभावी रूप से सामान्य गुर्दे के संक्रमण, मूत्र की समस्याओं, गुर्दे की विफलता आदि का इलाज कर सकती है। हल्दी का रोजाना सेवन आपके स्वास्थ्य को कई तरह से बेहतर बना सकता है जैसे कि गुर्दे की पथरी, किडनी में सूजन, इंफेक्शन, किडनी सिस्ट आदि।
गोक्षुरा
गोक्षुरा पेड़ की छाल गुर्दे के स्वास्थ्य और यूटीआई इंफेक्शन और पेशाब जलन सहित खराब गुर्दे के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। यह गुर्दे की पथरी को खत्म करने के लिए ब्लड सर्कुलेशन में मददगार है।
चंदन
आयुर्वेद उन लोगों के लिए चंदन के पेय का सुझाव देता है, जिन्हें यूटीआई है या पेशाब जलन व पेशाब के समय कठिनाई का सामना करना पड़ता है। चंदन शांत और सुखदायक गुणों की वजह से जाना जाता है, लेकिन इसके साथ ही, इस जड़ी बूटी में एंटी-माइक्रोबियल गुण भी होते हैं।
वरुण
वरुण एक ऐसी जड़ी बूटी है, जो पेशाब को बढ़ावा देने के लिए एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में काम करती है। यह गुर्दे की पथरी और गुर्दे की अन्य समस्याओं के जोखिम को भी कम करने में मददगार है। वरुण खून को साफ करने और गुर्दे के कार्यों में सुधार करने के लिए फायदेमंद है।
अदरक
अदरक एक सफाई घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है। अदरक लिवर और किडनी को डिटॉक्स करता है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी गुण गुर्दे में दर्द और सूजन का मुकाबला करने के लिए मददगार होते हैं, जो यूटीआई इंफेक्शन या संक्रमण के कारण होते हैं।
त्रिफला
त्रिफला ऐसी जड़ी-बूटियों का संयोजन है, जो वजन घटाने से लेकर गुर्दे के प्राकृतिक कामकाज में सुधार करता है। त्रिफला गुर्दे और यकृत को मजबूत बनाने और शरीर के उत्सर्जन संबंधी कार्यों के प्रबंधन में मददगार है।
धनिया
खाने को गार्निश करने के लिए बड़े पैमाने पर धनिया का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह किडनी की समस्याओं के लिए भी एक बेहतरीन घटक है। धनिया गुर्दे और मूत्राशय के कार्यों को विनियमित करने में मदद करती है।