
डिप्रेशन | Depression
आज की भाग दौड़ भरी जीवन शैली और भौतिक सुख पाने की चाह ने हमारे जीवज को तनात से भर दिया है। पहले-पहल तो ज्यादा सोचने, कम सोने, असंतुलित खानपान, एक ही समय में कई काम करने की कोशिश या बहुत जल्द बहुत ज़्यादा सफल होने का तनाव, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का तनाव ह न लगता है। धीरे धीरे यह चिंता होने लगती है कि मैं कर पाऊंगा/पाऊंगी या नहीं। धीरे धीरे लक्ष्य के करीब आते-आते यह डर लगने लगता है कि मै नहीं कर पा रहा/रही हूँ।
पूरी कोशिश या मेहनत से भी बात बनती न देखकर लोग अंतत: डिप्रेशन से ग्रसित हो जाते हैं। इन्ही कारणों से हृदय रोग, उत्च-रक्तचाप, डायबिटीज, मूड डिसआर्डर और मानसिक असंतुलन जैसी कई बीमारियां अपने पांव पसार रही है। लंबे समय तक उदासी, काम में मन न लगना, अनिद्रा, भूख घटना, आत्मविश्वास की कमी, आदि मानसिक चिंता व डिप्रेशन के लक्षण हैं।
किसी प्रिय व्यक्ति को खो देना, कोई गंभीर बीमारी, आर्थिक व सामाजिक परेशानियां, जिदंगी में कोई अप्रिय बदलाव, बेरोजगारी, निम्न सामाजिक स्तर और मानसिक, भावनात्मक व शारीरिक शोषण भी तनाव, चिंता, डर व डिप्रेशन के कारण बन सकते हैं।
इनसे ग्रसित लोगों को अनिद्रा, चिड़चिड़ापज, सिरदर्द, शारीरिक अक्षमता, आदि शारीरिक तकलीफें और पारिवारिक एवं स्रामाजिक परेशानियां हो जाती हैं। तनावग्रस्त व्यक्तियों का मन नौकरी या व्यवसाय में नहीं लगता। महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या पुरूषों से अधिक होती है।
डिप्रेशन से बचाव के उपाय | Ways to prevent depression
कई देशों में हुई रिसर्चों ने सिद्ध किया है कि संतुलित पोषण के अलावा नियमित व्यायाम, योग, मेडिटेशन (ध्यान) व पोषक तत्वों से युक्त पदार्थों का उपयोग तनाव रहित रहने और उत्च रक्तचाप, तनाव, चिंता व डिप्रेशन जैसी जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव में एक निर्णायक भूमिका निभाता है। ‘
जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लीमेंटरी मेडिसिन! में प्रकाशित एक शोध के अनुसार ब्रेन में गामा-एमिनोबुटायरिक एसिड (जीएबीए) के स्तरों का डिप्रेशन और चिंता संबंधी अन्य विकारों से सीधा संबंध होता है और योग करने से जीएबीए कम होता है।
नियमित व्यायाम से आप स्वस्थ तो रहते ही है, साथ ही चिंता, डिप्रेशन और तनाव भी घटते है। शारीश्कि रूप से सक्रिय रहने पर खुशी प्रदान करने वाले इंडोफिर्न होर्मोन की मात्रा में वृद्धि होती है और स्ट्रेस हार्मोन (कार्टिसोल) के स्तर में कमी आती है जिससे शरीर तनावमुक्त हो जाता है। योग व व्यायाम मन को शांत करते हैं और शारीरिक प्रक्रिया को मजबूत बनाते हैं।
इससे तनाव वाली मसल्स को आराम मिलता है और अच्छी नींद आती है जिससे तनाव घटता है। तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध, भय, असुरक्षा व डिप्रेशन और पार्किन्सन, सिजोफ्रेनिया जैसे रोगों पर नियमित योगाभ्यास से सकारात्मक असर होता है। नियमित व्यायाम से मानसिक तनाव घटता है, भूलने की बीमारियों-डिमेंशिया व अल्ज़ाइमर की रोकथाम में मदद मिलती है और मानसिक कार्यक्षमता भी बढती है।
मन शांत रखने के लिए सर्वांगासन, हलासन, भुजंगासन, जानुशिरासन, त्रिकोणासन तथा उष्टासन, आदि यौगिक क्रियाएं उपयोगी है। नाड़ी शोधन एवं उज्जायी प्राणायाम का नियमित अभ्यास तन व मन दोनों के लिए लाभकारी है। योग का नियमित अभ्यास स्मरणशक्ति बढ़ाता है और रक्त-संचार एवं पाचन सुधारता है। नसों व मसल्स में पर्याप्त खिंचाव उत्पन्न करने के अलावा योग से मस्तिष्क को शुद्ध रक्त मिलता है। इसके लिए सूर्य-नमस्कार, शीर्षासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्टासन, अर्धमत्स्येन्द्र आसन, आदि करने चाहिए।
योग और व्यायाम के अलावा मेडिटेशन या ध्यान भी तनाव, चिंता व डिप्रेशन दृर करने में बहुत मददगार है। मेडिटेशन से हम अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाते हैं जिससे जागरूकता, एकाग्रता, फोकस और सतर्कता बढ़ती है। वैज्ञानिक शोधों से पुष्टि हुई है कि रोजाना मेडिटेशन करने से इम्यूनिटी व स्वास्थ्य बेहतर रहते हैं और याददाश्त बढ़ती है।
मेडिटेशन मन को शान्ति देता है, चिंता और तनाव बढ़ाने वाले केमिकल्स के स्तर को घटाता है; डर, आक्रामकता और गुस्सा जैसी नकारात्मक भावनाओं को कम करता है और भावनात्मक संतुलन और शारीरिक लचीलापन बढ़ाता है। मेडिटेशन से आत्मविश्वास, सकारात्मक सोंच व सहनशीलता बढ़ती है।
मेडिटेशन पर की गई कुछ इंटरनेशनल रिसर्चो में यह सामने आया है कि इससे न सिर्फ उम्र के साथ दिमाग के क्षीण होने संबंधी क्रियाएं धीमी पड़ती है बल्कि यह दिमाग में कई सकारात्मक बदलाव भी लाता है और दिमागी कार्यप्रणाली में किए गए अच्छे बदलाव लंबे समय तक रहते है।
मेडिटेशन की कई विधियां हैं जिनमें कुछ विधियों का उपयोग आसानी से किया जा सकता है।
एकाग्रित ध्यान – किसी शांत जगह में बैठकर किसी एक चीज पर 15 मिनट तक अपना ध्यान केन्द्रित कीजिये। आप सिर्फ अपनी सांसों पर, पक्षियों की आवाज पर या किसी एक मंत्र या एक शब्द को बार-बार दोहराकर उस पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।
माइंडफुलनेस ध्यान – किसी शांत जगह में बैठें व मन में कुछ भी न सोचें। अपने शरीर को ढीला छोड़ें व उसमें कंपन होने दें। महसस करें कि यह ऊर्जा आपके पांवों से ऊपर की ओर बढ़ रही है। 20-25 मिनट तक इस प्रक्रिया को करने से आपका ध्यान बाहरी चीजों से हटकर सिर्फ एक चीज पर केन्द्रित हो जाएगा।
तनाव, चिंता, डर व डिप्रेशन से बचाव में न्यूट्रीशन का योगदान | The contribution of nutrition in the prevention of stress, anxiety, fear and depression
संतुलित व पोषक तत्वों से भरपूर आहार भी तनाव, चिंता व डिप्रेशन दूर करने और मानसिक शान्ति प्रदान करने में सहायक है। वैज्ञानिकों के अनुसार कई खाद्य पदार्थ व विशिष्ट पोषक तत्व (वंडर न्यूट्रीएंटएस) डिप्रेशन व चिंता से लड़ने में मदद करते हैं और कुछ ऐसे रसायनों के स्तर को घटाते हैं जो डर के भाव के लिये जिम्मेदार हैं।
ओमेगा 3 पोषक तत्वों का उपयोग ब्रेन में स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिये होता है और डिप्रेशन के खतरे को कम करता है।
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डीएचए का सेवन ब्रेन को विभिन्न रसायनों के उपयोग हेतु प्रेरित करता है और एक अच्छा व प्राकृतिक एंटी डिप्रेसेन्ट है।
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प्रोटीन – फिनाइलएलानाइन, टायरोसिन, थियोजिन व L हिस्टिडीन, आदि एमिनो एसिड्स मूड सुधारते हैं व सर्तकता बढ़ाते हैं। ये ब्रेन को एंटी डिप्रेसेंट हॉर्मोन व हिस्टामिन बनाने के लिये उत्प्रेरित करते हैं और तनाव व चिंता दूर करने में भी मददगार हैं।
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विटामिन्स-मिनरल्स – विटामिन्स B व C की कमी से शरीर में तनाव सहन करने की क्षमता घटती है व डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, थकान जैसे लक्षण बढ़ते हैं। विटामिन B समूह व खासकर फोलिक एसिड, विटामिन C और मेग्नीशियम की आपूर्ति से तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन घटते हैं, मूड और एनर्जी सुधरते हैं और तनाव,चिंता व डिप्रेशन दूर करने में मदद मिलती है। आयरन, मैग्नीशयम, पोटेशियम व जिंक जैसे मिनरल्स मानसिक स्वास्थ्य के लिये जरुरी होते हैं।
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ताजे फल-सब्जियां, नट्स व वंडर न्यूट्रीएंटस –विटामिन C से समूह संतरे शरीर को तनाव से बचाते हैं। संतरे का जूस पीने से डोपामिन नामक रसायन उत्पन्न होता है जो तनाव व चिंता घटाता है। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपुर ब्लूबेरी व स्पिनेच तनाव पैदा करने वाले कार्टिसोल नामक रसायन का मुकाबला करते है और तनाव से मुक्ति दिलाते हैं।
केला विटामिन, फाइबर, पोटेशियम आयरन व प्रोटीन का अच्छा स्रोत है और थकान दूर कर ऊर्जा देता है व मूड सुधारता है। फोलिक एसिड व प्रोटीन से युक्त ब्रेन फूड अखरोट एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट है। ग्रीन टी में L थियानिन नाम का प्रोटीन होता है जो ब्रेन को रिलेक्स करता है व तनाव और चिंता दूर करता है। डार्क चॉकलेट में गामा एमिनो ब्यूटायरिक एसिड नामक तत्व चिंता दूर करने में लाभदायक है।
साबुत अनाज – साबुत अनाज अच्छे कार्बोहाइड्रेट्स का स्त्रोत हैं। ये सिग्रेटोलिन के उत्पादन को बढाते हैं और व्यक्ति को तनाव मुक्त, शांत व प्रसन्नचित्त रखते हैं।
प्रोबॉयोटिक – तनाव, चिंता व डिप्रेशन में हमारे शरीर में सामान्यत: पाये जाने वाले मित्र बैक्टीरिया (प्रोबॉयोटिक्स) की संख्या घट जाती है। लेक्टोबेसिलस एसिडोफिलस व लेक्टोबेसिलस रेमनोसस जैसे प्रोबॉयोटिक सप्लीमेंट ब्रेन की तनाव व चिंता से लडने की क्षमता बढ़ाते हैं।
मानसिक तनाव दूर करने के अन्य उपाय: संगीत सुनें, दोस्तों और परिवार के साथ समय बितायें, खुलकर हंसें, डांस करें, सही लाइफस्टाइल चुनें, रोजाना 6000 कदम चलें और 250 सीढ़ियां चढ़ें, ज़्यादा न सोचें। इस तरह योग, व्यायाम, ध्यान और उचित पोषण लेकर व खुश रहकर हम खुद को तनाव व चिंता से मुक्त रख सकते है।